Self Respect Poem in Hindi || आत्मसम्मान
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Self Respect Poem in Hindi |
उठजा खुद से रूह ब रूह करले
मत रोक खुद को खुद से गुफ्तह गु करले
देख सदियाँ बीत गई
देख अपने थे जो वो भी छुट गये
देख सपने थे जो वो भी टूट गये
देख प्यार किया था जिससे वो भी रूठ गये
उठजा खुद से रूह ब रूह करले
मत रोक खुद को खुद से गुफ्तह गु करले
क्या है जो छुटना अभी भी बाकी है
आखिर तु किस भ्रम में पड़ा है
जो खुद से इतना दूर खड़ा है
मत तोल खुद को भ्रम की तरज़ू मे
कुछ तो खुद पर यकीं करले
उठजा खुद से रूह ब रूह करले
मत रोक खुद को खुद से गुफ्तह गु करले
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धन्यवाद 🙏🙏🙏
Poet
शोध छात्र
शिव कुमार खरवार
राजनीतिक विज्ञान विभाग
डॉ.भीम राव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी
लखनऊ ।